50-50 मिनट की सात लंबी कक्षाओं के बाद छात्र घर जाने के लिए अपने बस्ते के साथ डेस्क पर बैठे हैं. शिक्षक अगले दिन के टाइम-टेबल के बारे में बता रहे हैं और वे सब उनको ध्यान से सुन रहे हैं.
आख़िर में रोज़ की तरह शिक्षक सफ़ाई की ज़िम्मेदारी बांटते हैं- "पहली और दूसरी पंक्ति कक्षा साफ़ करेगी. तीसरी और चौथी पंक्ति गलियारे और सीढ़ियां साफ़ करेगी. पांचवी पंक्ति टॉयलेट साफ़ करेगी."
पांचवी पंक्ति से कुछ आह निकली, लेकिन सभी बच्चे खड़े हो गए. उन्होंने कक्षा के पीछे रखी आलमारी से पोछा, कपड़े और बाल्टियां उठा लीं और टॉयलेट की ओर चल पड़े. जापान के सभी स्कूलों में इसी तरह के दृश्य दिखते हैं.
पहली बार जापान आने वाले मेहमान यहां की सफ़ाई देखकर चकित रह जाते हैं. फिर वे नोटिस करते हैं कि कहीं भी कूड़ेदान नहीं है, न ही उनको सड़कों की सफ़ाई करने वाले दिखते हैं.
वे उलझन में रहते हैं कि आख़िर जापान इतना साफ़ कैसे रहता है. इसका आसान जवाब यह है कि लोग ख़ुद इसे साफ़ रखते हैं.