राकेश कुमार श्रीवास्तव, चामुण्डा दर्शन न्यूज़ कुशीनगर
। नहरें हुई बे पानी किसानों में हाहाकार।।*
सड़क से लेकर सत्ता के गलियारे तक आये दिन किसानों के हिमायती होने का दम्भ भरा जाता है परंतु बात आई गई होगई फिर उनकी समस्याओं से किसी को क्या लेना देना चाहे किसान आत्महत्या करें या लाठियां खाय।।
उल्लेखनीय है कि भारत का रीढ़ कहा जाने वाला किसान कभी खाद कभी बीज कभी पेस्टिसाइड के लिए परेसान रहता तो कभी अपने खड़ी फसल को सींचने के लिये बताते चले कि वर्तमान समय में किसान अपने गेहूं की खड़ी फसल को सींचने को लेकर ब्यवस्था में लगा हुआ है वहीं सरकार के द्वारा करोड़ो खर्च कर नहरों की सिल्ट सफाई कराने के बाद भी नहरें बे पानी बनी हुई हैं जिससे किसान अपने फसल को सिंचने के लिये परेसान हाल होकर रहगया है वहीं सरकार के द्वारा किसान हित में रोज पढ़े जाने वाले कसीदे हवा हवाई साबित हो रहे है।