पुलिस ने बदला न्याय की परिभाषा,शिकायतकर्ता के खिलाफ करती है कार्यवाही, मातहतों को मिलता है अभयदान।

 चामुँडा दर्शन न्यूज़,कुशीनगर।।                                                                                                                                            *सावधान ! ये कुशीनगर हैं जहां पुलिस के खिलाफ शिकायत करना पड़ सकता हैं महंगा*


*मातहतों को मिलता है अभयदान, शिकायतकर्ता के खिलाफ होती है कार्रवाई*


*कुशीनगर में बदल गयी न्याय की परिभाषा, फरियादियों में निराशा*


कुशीनगर।  जिले की पुलिस का कुछ ऐसा मंजर देखने व सुनने आया जो खाकी को शर्मशार करने वाली है। जिसके चलते अब आमजन अपनी फरियाद सुनाने से भी कतराने लगे हैं, कारण कि कुछ ऐसे मामले है जहां पुलिस का विरोध  करना आम लोगो पर भारी पड़ा है और लोगो को कार्रवाई भुगतना पड़ा है। पुलिस अपनी हनक दिखा जहां विरोध को दबाने पर तुली हुई है। इतना जरूर है कि लाकडाउन के चलते लोग सड़क पर नही उतर रहे हैं लेकिन विरोध लोगो को जरूर महंगा पड़ रहा है जो चर्चा का विषय हैं।
    भ्र्ष्टाचार के खात्मा व पारदर्शी, स्वच्छ शासन के वायदे के साथ 2017 मे भाजपा नीत सरकार सत्ता पर काबिज हुई, तब लोगो को बेहतर शासन की उम्मीद जगी। जो शोषण के शिकार व पीड़ित फरियादी थे, उन लोगो को यह विश्वास जगा कि अब थानों, तहसीलों पर अवैध वसूली कम होगी और समस्याओं का त्वरित समाधान होगा, लेकिन उनके अरमान चन्द दिनों में ही दम तोड़ने लगे। लोगो का कहना है कि पहले की अपेक्षा थानों पर रिश्वतखोरी काफी बढ़ गयी हैं तो वही पुलिस के गलत कार्यो का विरोध भी महंगा पड़ रहा है, पुलिस हनक दिखा अपने तमाम कार्यो को जैसे शराब, पशु तस्करी सहित अन्य कार्यो को अंजाम दे रही हैं। हा ये अलग बात है कि पहले जो लोग यह विरोध जताया करते थे कि थाने व  चौकिया बिकती है वह चुप है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में थाने व चौकी बिकते हैं यह तो अंदर की बात है। फिर भी कुशीनगर पुलिस की कार्यशैली लोगो को रास नही आ रही है, इतना जरूर है कि लाकडाऊन के चलते विरोध प्रदर्शन पर लगे रोक को देखते हुए लोगो की नाराजगी प्रदर्शनों में तब्दील नही हो पा रही हैं। उधर पुलिस भी हनक दिखा लोगो के विरोध को ही दबाने पर तुली हुई हैं जिससे लोगो मे काफी नाराजगी हैं। लोगो का ये कहना कि अब कुशीनगर पुलिस से न्याय की उम्मीद रखना आसमान से तारे लाने के समान है, यह बताने के लिए काफी है कि पुलिस सरकार की मंशा के अनुसार नही, अपने हिसाब किताब के साथ बेहतर पुलिसिंग का दावा कर रही है, लेंकिन फरियादियों की नजर में पुलिस की बेहतर छवि नजर नही आ रही है। जिले के पटहेरवा पुलिस के खिलाफ उस समय विरोध के स्वर उठने लगे,जब पुलिस ने सोनू नामक युवक को तीन दिन थाने पर बैठाने के बाद जेल भेज दिया। ब्लाक प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष वशिष्ठ उर्फ गुड्डु राय, प्रधान संघ अध्यक्ष प्रतिनिधि सहित क्षेत्रीय लोगो ने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की थी, उधर परिजनों ने आरोप लगाया था कि युवक को अवैध शराब की हो रही लोडिंग का विरोध करना महंगा पड़ गया, जिसके चलते युवक को एक फर्जी मुकदमे में जेल जाना पड़ा, ये अलग बात है कि लाकडाउन के चलते लोग सड़क पर आंदोलन करने नही उतर सके, लेकिन जिम्मेदार इतनी बड़े आरोप के बाद जांच कर कार्रवाई के वजाय पर्दा डालते रहे, जिसको लेकर क्षेत्रीय लोगो मे काफी आक्रोश देखने को मिला। सेवरही में भी रात्रि में पीआरवी गाड़ी में शराब की लोडिंग की सूचना पर पुलिस कार्रवाई के मूड में आ गयी थी और वायरल करने वालो के खिलाफ कार्रवाई की बात सामने आई थी, जो सोसल मीडिया में चर्चा में रही थी। वही एक ऐसी घटना जिसमे खाकी की मानवता तार तार  हुई, जब पटहेरवा थाना क्षेत्र के जौरा निवासी महिला रुखसाना ने मेराज नामक पुलिसकर्मी के द्वारा अभद्रता किये जाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की तो पुलिस ने उल्टे महिला के खिलाफ ही 116/ 107 की कार्रवाई कर डाली, फिर महिला ने सीएम से न्याय की गुहार लगाई तो जिम्मेदार पुलिसकर्मी के ही बचाव में उतर आए। कसया चौकी प्रभारी  के द्वारा वारंटी को छोड़ दिये जाते हैं, 3 लाख रुपये लूट की घटना घटित हो जाती हैं। फिर भी लाकडाउन मे चौकी प्रभारी एक मौलवी के साथ संक्रमित क्षेत्र में चले जाते हैं, उक्त घटनाओ के वायरल होने के बाद जिम्मेदार कार्रवाई की बजाय बचाव में उतर आते हैं और तहरीर के साथ वायरल करने वालो के खिलाफ कार्रवाई की धमकी सोसल मीडिया के माध्यम से देते हैं। जब जिले की पुलिस समाज के चौथे स्तम्भ के खिलाफ इस तरह की षडयंत्र करती हुई दिख रही है फिर आमजन इनके खिलाफ कैसे आवाज बुलंद करेगा। चर्चा है कि जिले में कोरोना से भी अधिक भय पुलिस से है कि कब पुलिस निर्दोष लोगो को अपनी गिरफ्त में ले ले। उधर जिम्मेदारो के द्वारा जानकारी के बाद भी कार्रवाई न किये जाने से अब लोगो का न्याय से भरोसा ही उठ गया है और पुलिस बेखौफ अपनी जेब भरते हुए जनता का शोषण कर रही है।